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सपनों का बोझ: बड़े सपने देखना और उन्हें जीना

  • Writer: Mister Bhat
    Mister Bhat
  • 23 hours ago
  • 1 min read

सपनों का बोझ: बड़े सपने देखना और उन्हें जीना

सपने देखना आसान है।

आँखें बंद करो और एक बेहतर दुनिया अपने लिए बना लो।

लेकिन उन सपनों को जीना…वो सबसे मुश्किल काम है।

बड़े सपनों की खूबसूरती जितनी चमकदार होती है,

उनका बोझ भी उतना ही भारी होता है।क्योंकि सपना सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं,

वो एक ज़िम्मेदारी है —

खुद से, अपने समय से,

और उन लोगों से जो आप पर विश्वास करते हैं।

हम अक्सर कहते हैं —

"मैं बड़ा सपना देखना चाहता हूँ"

लेकिन सच में बड़ा सपना देखने का मतलब है

खुद को बदलने के लिए तैयार होना,

अपने आराम के घेरे (comfort zone) से बाहर निकलना,

और कई बार उन त्यागों को

अपनाना जिनके लिए दिल भी तैयार नहीं होता।

सपनों का बोझ यह भी है कि जब बाकी सब सो रहे हों,

आप जागकर मेहनत कर रहे होते हैं।

जब बाकी लोग जश्न मना रहे हों,

आप अपनी अगली योजना बना रहे होते हैं।

और ये रास्ता अकेला भी होता है, लंबा भी।

लेकिन इसी बोझ में एक अद्भुत ताक़त छुपी होती है।

क्योंकि हर दिन जब आप अपने सपनों के लिए कुछ करते हैं,

तो वो बोझ हल्का नहीं होता,

बल्कि आप और मज़बूत हो जाते हैं।

तो, बड़े सपने देखो,

लेकिन उनके बोझ को उठाने की हिम्मत भी रखो।

क्योंकि असली ख़ुशी सिर्फ़ सपने देखने में नहीं,

बल्कि उन्हें जीते-जी पूरा करने में है।



 
 
 

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